Friday, February 21, 2014

इतना सन्नाटा क्यों है, भाई ?

हिंदी चलचित्र 'शोले' में लेखकों सलीम-जावेद ने एक दृश्य रखा है - जब इमाम साब के बेटे कि लाश गाँव में आती है और वहाँ गाँववालों के बीच जो बातचीत होती है तब इमाम साब कहते हैं : इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई ? थोड़ी देर में उनको पता चल जाता है सन्नाटे का कारण। 
       
       गुजरात में आज एक डरावना सन्नाटा छाया हुआ है।  हर व्यक्ति डरा डरा हुआ है।  यह एक ऐसा सन्नाटा है जो कि हर व्यक्ति को ति से  कर देता है। अमरिका में कोई अनजान को अगर समय पूछता है तो भी सामनेवाला घबरा जाता है ! गुजरात में आज ऐसा ही वातावरण हो गया है।  कोई  अपने आप को सलामत नहीं समजता है। और सब से बड़ी बात ये है कि इस सन्नाटे के पीछे दुःख के साये मंडराए हुए हैं। हालांकि, इंटरनेट पे आज-कल बहुत ही ब्लॉग छपते हैं, जिनमे कुछ मनोरंजन के लिए  होते हैं, कुछ किसी व्यावसायिक हेतु के लिए होते हैं, कुछ इश्तेहार के लिए तो कुछ दूसरे हेतुओं के लिए होते हैं।  परन्तु मैंने आज से यहाँ इस ब्लॉग के जरिये सत्य को आवाज देने का बीड़ा उठाया है।  'जूठ बोले कौआ काटे' शीर्षक से मैं सभी जूठ से पर्दा उठाने का काम करना चाहती हूँ । 
    
           उदहारण के तौर पे गुजरात की वर्त्तमान सरकार को ले लो।  आज 2014 का यह फरवरी माह चल रहा है, लेकिन गुजरात सरकार 2001 से पूरे गप्पे हांकती चली आ रही है कि गुजरात का विकास हो गया, यहाँ कोई गरीब नहीं, यहाँ सब सुखी हैं ! ऐसे गुब्बारों से हवा निकाल देने का कार्य मैं करना चाहती हूँ।  मैं चाहती हूँ कि हर इक व्यक्ति  सोचे, समजे और गुजरात को सही मायने में देखे, न कि उस चित्र को देख गुजरात की कल्पना कर ले जो यहाँ-वहाँ सब जगह दिखाया जा रहा है। सत्य यह है कि देश के किसी भी राज्य की तुलना में गुजरात  सरकार पेट्रोल, डीजल पर ज्यादा वेट लगाती है और यही वजह है कि कीमतें बढ़ती जाती हैं। गोवा में भाजपा सरकार ने वहाँ पेट्रोल सस्ता मिल सके उसके लिए अनावश्यक और अधिक टेक्स हटा दिए हैं।लेकिन गुजरात की भाजपा सरकार के पास समय नहीं है।  
    
         गुजरात को एक  विकास मॉडल के रूप में पेश किया जा रहा है, परन्तु सभी मापदंडों से गुजरात अभी भी पिछड़ा हुआ है। शैक्षिक विकास इंडेक्स में गुजरात बहुत पीछे चला गया है।  गुजरात के मुख्यमंत्री को अपनी प्रशंसा करवाना बहुत अच्छा लगता है, भले वे उसके लिए पात्र हों या न हों। राज्य में शिक्षा की स्थिति सुधारने के लिए बिलकुल नीचे से प्रयास करना चाहिए होता है, शिक्षकों को अच्छी तनख्वाह देनी होती है, स्कूलों के मकान और उनमे सब सुविधाएं देनी पड़तीं हैं, लेकिन यह सब कौन करेगा ! इनको तो अवार्ड ही चाहिए, जो कहीं से भी 'मैनेज' किया जा सकता है।  देश के 662 जिलों में स्थित प्राइमरी स्कूलों का निरीक्षण कर यह कहा गया था। प्राइमरी शिक्षा की दिशा में गुजरात का स्थान 12 था, वो अब 28  हो गया है। 
   
          पूरी दुनिया में गुजरात को नंबर वन कहने वाले मुख्यमंत्री  ने 14 वे वित्तआयोग के समक्ष ऐसा कहकर बहुत बड़ी राशि मांगी कि गुजरात तो बिलकुल गरीब राज्य है। वित्तआयोग के सामने अपने राज्य को पिछड़ा कहकर पैसे मांगने में उनको शर्म नहीं आती, न ही संकोच होता है, और ना ही उनका स्वाभिमान दुखता है ! केरल में जाकर पिछड़ी जातियों के मतदाताओं को लुभाने के लिए खुद को दलित बताने वाले मोदी को गुजरात में पिछड़ी जाती की कोई समस्या में दिलचस्पी नहीं, खुद के राज्य में पिछड़े लोगों पर अत्याचार हो तो भले हो !
    
           गुजरात में बहुत विकास हो गया होता तो क्यों गुजरात का साधारण आदमी दुखी है ? विकास हो ही गया है तो फिर जनता को इतनी महंगाई क्यों झेलनी पड़ती है ? गुजरात की राज्य परिवहन सेवा में बस भाड़े बढ़ गए हैं, जनता जो की पहले बस में बैठ अपने रिश्तेदारों से मिनले जाती थी वह अब घर से बाहर निकलने से भी डर रही हैं। गुजरात के स्वाभिमान की बात करनेवाले मुख्यमंत्री ने मानो दबा दिया है गुजरात कि जनता के गुस्से को, जो एक शोला है, एक ज्वालामुखी है।
   
             केंद्र सरकार के खिलाफ पूरे देश में निंदा और तिरस्कार पैदा करने का काम करनेवाले लोग अपने राज्य में किसी को अपने खिलाफ जबान खोलने नहीं देते।  जिसने भी जबान खोली वह सदा के लिए शांत हो जाता है ! गुजरात सरकार के गलत क़दमों का विरोध अगर किसी ने किया तो उसको गुजरात विरोधी कहा जाता है ! नतीजा यह आता है कि कोई विरोध ही नहीं होता, और दुनिया को लगता है कि गुजरात में स्वर्ग उतर आया है !

                  तो, इस तरह कि बातें मैं आपके सामने हररोज लाती रहूंगी और आपको सत्य से वाक़िफ़ कराती रहूंगी।   पढ़ते रहिये, पढ़ाते रहिये।  
अस्तु। 

9 comments:

  1. "जनता को पता है कि देश कैसे चलता है, आप बीजेपी के (2002) समय के शासनकाल ने सब कुछ साफ कर दिया है"

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  2. “ कैग की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्य को नवंबर, 2008 में निर्देश दिया कि वह संशोधित जनसंख्या मापदंड के आधार पर अतिरिक्त योजनाओं को लेकर वह प्रस्ताव सौंपे, लेकिन गुजरात ने कोई प्रस्ताव नहीं दिया। इसमें कहा गया है कि राज्य के नौ से 40 फीसदी आंगनवाड़ी केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव है क्या भारत को भी येसी प्रगती चाहिये...... फेकू कितना फेकता है...”

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  3. " दुनिया मोदी का सबसे बड़ा बेवकूफ हमें ( आम आदमी ) के मूर्ख बनाने नहीं कर सकते ! "

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  4. मोदी को देश के सभी लोग पेचान लिया है की वो गुनेगार है! ..

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  5. FEKU ONLY KNOWS FEKNA, FEKU SE BADA JHOOTA ISS DESH ME KOI NAHI ...

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  6. Gujarat, Farmers & Betrayal

    https://www.youtube.com/watch?v=8KqZERLErgo

    First he ordered evacuation of Sikh farmers from Punjab and Haryana who have been dwelling in the dry region of Kutch since decades. Then he makes a statement at the recent Punjab rally that no Sikh farmer will be evacuated from Gujarat.

    This is nothing but a political lie. If he was so concerned with these Sikh farmers, why didn't he make the same statement before the farmers themselves? If he wanted these farmers to stay in Gujarat, why didn't he stop his own government from approaching the High Court?

    Don't get fooled by his words!

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  7. http://rashtravadihindu.blogspot.in/

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  8. Nice blog to read! We all have to do honest justice to India and appeal to the people of India to VOTE but not blindly but to keep vigil before casting our VOTE. So VOTE and try to bring GLORY back to India.
    http://plusminuswhat.blogspot.in/2014/04/lok-sabha-election-2014-and-modi.html

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  9. कितना भी झूठ बोलो लेकिन जनता सब समझती है। अगर कोई आपको नुकसान पहूँचाए और आपको उससे बदला लेने का मौका मिले बैलेट बटन दबाकर। फिर भी उसी को चुनता है तो वो सबसे बड़ा बेवकूफ होता है। लेकिन गुजरात की जनता बेवकूफ नहीं है। अपना भला बूरा सब समझती है इसीलिए तो 20 साल से कांग्रेस सत्ता से दूर है गुजरात में।

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