मैंने और आपने इस जगह को नफरत प्रगट करने के लिए नहीं, बल्कि सच्चाई और प्यार बताने के लिए चुना है। जब मैं इस ब्लॉग में कुछ लिखती हूँ तब मेरे दिल में किसी के प्रति कोई द्वेष का भाव नहीं होता बल्कि सच्चाई की रौशनी होती है। दुःख की बात यह है कि भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने जहाँ भी वक्तव्य दिया है वहाँ कुछ न कुछ जूठ जरूर फेका है ! उन सभी जूठी बातों का भांडाफोड़ मैं करना चाहूंगी यहाँ। हाल ही में मोदी ने हिमाचल प्रदेश के सुजानपुर में इसी माह, फरवरी में 16-17 की अपने यात्रा में कहा कि बिना परिवार वाला आदमी ही देश को भ्रष्टाचार-मुक्त शासन दे सकता है। उन्होंने कहा कि मेरे लिए न कोई आगे, न पीछे, किसके लिए भ्रष्टाचार करूँगा ? मेरे तो मन और तन दोनों देश को समर्पित हैं। मेरा कोई परिवार नहीं है। ये सब बातें लोगों को लुभाने के लिए बहुत अच्छी तरह बनायी जातीं हैं, हकीकत कुछ और ही होती है। और मैं आपको बताउंगी कि हकीकत क्या है। आइये चलते हैं अपने आप को बहुत ही अच्छे और सीधे सादे मानने वाले भाजपा के पीएम पद उम्मीदवार मोदी के जीवन में देखते हैं।
मोदी के परिवार को समजने कि लिए हमे धुल और मिटटी से भरे गाँव राजोसन जाना पड़ेगा। उनका नाम है जशोदा बहन चिमनलाल मोदी। वे गुजरात के रजोसना गाँव कीं रहनेवालीं हैं। पूरे गाँव में सब उनको ‘नरेंद्र मोदी कीं पत्नी’ के रूप में जानते हैं। जानकारों का कहना है कि जिल्ला मेहसाणा के वडनगर में 18 साल की उम्र में उनकी शादी हुई थी। लेकिन शादी के कुछ दिनों के बाद उनको अपने पिता चिमनलाल के घर वापिस भेज दिया गया था। शादी के वक्त वे सातवीं कक्षा में पढ़ती थीं और उनको पढाई पूरी करने के लिए पिता के घर भेज दिया गया था। पति को खुश करने के लिए उन्होंने धोलका में पढाई कि और पुरानी एस एस सी 1972 में पूरी की। बाद में प्राथमिक टीचर का कोर्स करने के बाद अहमदाबाद में तिन माह तक उन्होंने काम किया। इसके बाद बनासकांठा में डेकवाली गाँव में, फिर रूपल गाँव में जिला पंचायत स्कुल में 12 साल तक काम किया। उसके बाद वे रजोसना गाँव आ बसीं और आज भी वहीँ रहतीं हैं।
रजोसना के एक ग्रामवासी ने बताया कि नरेंद्र मोदी को उनको अपने पास बुला लेना चाहिए, क्यू कि वे उनकीं पत्नी हैं। लेकिन वे पत्रकारों को बतातीं हैं कि अपने पति के खिलाफ वे कुछ नहीं बोलेंगी, क्यूँ के वे बहुत शक्तिशाली हैं और उन्होंने यह भी कहा कि उनको परिणामों की भी फिकर है।
जशोदा बेन पति के त्याग के बाद आज तक पति को तरसती रहीं हैं और आज भी चाहतीं हैं कि वे एक दिन उनको अपने साथ रहने के लिए बुलाएंगे! मगर गांधीनगर तरफ ऐसा कुछ दिखाई नहीं पड़ता! यही उनका दुर्भाग्य है!और, दुर्भाग्य को दूर करने का भी उन्होंने रास्ता ढूंढा, कई ज्योतिषियों का मार्गदर्शन लिया, मगर सब यही कहकर रुक गए कि, एक दिन अपने पति के साथ उनको रहना जरूर मिलेगा। फिर भी, सत्य यह है कि नरेंद्र मोदी के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक परिवार है। गुजरात को भी वे अपना परिवार ही कहते हैं। अगर गुजरात को अपना परिवार मानकर वे महंगाई कम करें तो जनता को ख़ुशी होगी। अगर वे गुजरात को अपना परिवार मानते हैं तो उनको चाहिए कि गुजरात में साधारण मानवी को जो मुसीबतें उठानी पद रहीं हैं वे मिटा दें। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा। बल्कि गुजरात एस टी बसों में किराए बढे, अहमदाबाद में सिटी बसों में किराए बढे, लोगों को गरीबी का सामना करना पड़ रहा है।
मोदी जी कह रहे हैं कि गुजरात में स्वराज आ गया है, लेकिन जूठ। गुजरात में आज भी स्थिति बरकरार है। सार्वजनिक प्रशासन में भ्रष्टाचार है और हररोज नए घोटाले खुल रहे हैं। गांधीनगर में मोदी जी के ही शहर में कोई चम्पावट नाम का आदमी, जो कि भाजपा का कार्यकर था, वह डेढ़ करोड़ की नकद राशि के साथ पकड़ा गया और जोर से पुलिस को बता रहा था कि वह सब पैसे भाजपा को चुनाव जितने के लिए देने वाला था! गुजरात में रेवेन्यू तलाटी की नौकरियों के लिए इस चम्पावट ने रिश्वत लेने में पीछे मुड़ के नहीं देखा। और पुलिस का छापा पड़ा उसकी संस्था पर। कुछ दिनों पहले मोदी साहेब ने केराल में पिछड़ी जातियों को लुभाने के लिए अपने आप को दलित बता दिया था। उन्होंने कहा था, “मैं आपके परिवार का ही हूँ। आप मेरे परिजन हैं।” ! सवाल यह है की अपने आप को बिना-परिवार का बताकर जनता के पास जानेवाले मोदी के शब्दों में कितना विश्वास किया जाना चाहिए ?
‘परिवार नहीं है, परिवार नहीं है’ कह गुजरात में भ्रष्टाचार का बड़ा रास्ता खोल देनेवाले मोदी साहेब को कौन समजाये कि, साहब, अगर परिवार ही नहीं है तो फिर ये सब कहाँ जाता है जो लोगों से इकठ्ठा किया जाता है ?
तो, यह सब है नरेंद्र मोदी के राज्य की सच्चाई।