आधी हकीकत, आधा फ़साना |
अगले आम चुनावों के मद्देनजर इन दिनों देश भर में भाजपा नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के अश्वमेध का घोड़ा निकल पड़ा है। पहले दौर में मोदी के प्रचार की मुख्य थीम ‘विकास’ है जिसमें वे हर दूसरे मिनट वे गुजरात में अपने नेतृत्व में हुए कथित ‘विकास’ की आधी सच्ची-आधी झूठी कहानियां सुनाते हैं। अपने भाषणों में वे बड़े-बड़े दावे करते हैं और उन दावों-कहानियों के जरिये वे ‘शाइनिंग इंडिया’ की तर्ज पर वाईब्रेंट यानी चमकीले ‘गुजरात माडल’ का मिथ रचते हैं। मुश्किल यह है कि इक्का-दुक्का अपवादों को छोड़कर न्यूज मीडिया कभी मोदी के श्री-मुख से निकले दावों की पड़ताल और छानबीन की कोशिश नहीं करता है। वह एक पोस्ट-आफिस की तरह मोदी के दावों और कहानियों को जस का तस लोगों तक पहुंचाने का माध्यम भर बनकर रह गया है।
मेरे पास उतने साधन नहीं हैं कि मोदी के दावों की जमीन पर जाकर पड़ताल कर सकूँ। लेकिन गूगल बाबा की कृपा से जो जानकारियां मिलती हैं, वह भी मोदी के फसानों की हकीकत बयान करने के लिए काफी हैं। ऐसे ही कुछ दावों की पड़ताल और पूरे तथ्य आपके सामने पेश हैं। उम्मीद है कि इससे नेताओं खासकर प्रधानमंत्री के दावेदारों के दावों की बारीकी से पड़ताल की कोशिश कुछ आगे बढ़ेगी।
फेंकूजी का ‘सच’-1
फेंकूजी ने दिल्ली में फिक्की की महिला सभा में दावा किया कि उन्होंने गुजरात में स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए ५० फीसदी स्थान आरक्षित करनेवाले विधेयक को पारित किया है लेकिन गवर्नर उसे मंजूरी नहीं दे रही हैं।
तथ्य क्या हैं? यह आधा और तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया ‘सच’ है। पूरा सच यह है कि फेंकू सरकार ने गुजरात में स्थानीय प्राधिकरण कानून (संशोधन) विधेयक’२००९ को पारित किया है जिसमें महिलाओं को ५० फीसदी आरक्षण देने के साथ-साथ उतनी ही प्रमुखता से अनिवार्य वोटिंग का प्रावधान भी शामिल किया गया है।
यह है मोदी का ‘सच’ ! लेकिन मोदी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वे बड़े आत्मविश्वास से दावे करते या आरोप लगाते हैं। इसके लिए वे बड़ी चतुराई से तथ्यों को आधा-अधूरा पेश करने से लेकर उसे तोड़ने-मरोड़ने से भी परहेज नहीं करते हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि मीडिया भी उनके दावों को बिना जांच-पड़ताल के ‘सच’ की तरह पेश करने में लगा हुआ है।
फेंकूजी का ‘सच’-2
इससे पहले दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में नरेन्द्र मोदी ने दावा किया था कि गुजरात के बजट में कोई घाटा नहीं है...
सच यह है कि गुजरात के इस साल के बजट में राजस्व घाटा नहीं है लेकिन उसमें राजकोषीय घाटा २०४९६ करोड़ रूपये का है जो राज्य जी.डी.पी का २.५७ फीसदी है। यही नहीं, राज्य का कुल कर्ज भी पिछले साल के १.३३ लाख करोड़ रूपये से बढ़कर १.५८ लाख करोड़ रूपये हो गया है।
फेंकूजी का ‘सच’-3
इसी सभा में नरेन्द्र मोदी ने यह भी दावा किया कि गुजरात में पिछले दस साल में बिजली की दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई है..
लेकिन सच यह है कि वहां हर तिमाही में बिजली की दरों में वृद्धि होती है.. पिछले साल भी वृद्धि की गई थी...
फेंकूजी का ‘सच’-4
आपको पोरबंदर के विट्ठल रादडिया की शायद याद होगी। उन्हें पिछले साल अक्टूबर में एक टाल गेट पर राइफल लेकर वहां के कर्मचारियों को धमकाते हुए देखा गया था। उस समय संसद और उससे बाहर भाजपा ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर खूब हंगामा किया था। एफ.आई.आर भी हुई थी। बाद में हाई कोर्ट ने भी रादडिया की आलोचना की थी।
लेकिन ‘पार्टी विथ डिफ़रेंस’ भाजपा और सुशासन के नए मसीहा बनकर उभर रहे मोदी ने रादडिया को पुत्र सहित भाजपा में शामिल करा लिया है। आज मोदी खुद रादडिया के स्वागत के लिए इस मौके पर मौजूद थे। लेकिन इसमें क्या आश्चर्य? अलग ‘चाल, चरित्र और चेहरे’ वाली पार्टी के लिए यह कोई नई बात नहीं है।
फेंकूजी का ‘सच’-5
नरेन्द्र मोदी अपने भाषणों में एक बार भी कारपोरेट लूट के बारे में नहीं बोला है। २ जी से लेकर कोयला आवंटन तक में सत्ता और राजनेताओं की मदद से धड़ल्ले से हो रही सार्वजनिक संपत्ति की कारपोरेट लूट किसी से छुपी नहीं है।
लेकिन भ्रष्टाचार और लूट के आपूर्ति पक्ष के बारे में बात करते हुए ‘लौहपुरुष’ के ‘पुरुषार्थ’ की घिग्घी क्यों बंद जाती है? क्या इसलिए कि गुजरात में भी यही हो रहा है? यह है मोदी के दावों और कामों की असलियत। लेकिन क्या कोई चैनल/अखबार इस सच्चाई को सामने लाएगा?
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