Thursday, April 3, 2014

जूठी बाते जूठा विकास


                फेकू चले दिल्ही दर्शन


गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी के पीएम उमेद्वार नरेद्र मोदी अपनी हर चुनावी रेलीयो में कहते हे की “गुजरात में राम राज्य हें” पर आकडे जूठ नहीं कहते गुजरात में 'गरीबों की 41 फीसदी से प्रतिशत 18.5 गंभीर गरीबी में रहते हैं. हर पांचवां व्यक्ति किसी के लिए एक मॉडल होना गरीबी के दावे में घोर गरीबी और 41 फीसदी में रहती है ! बल्कि सचाई तो यही हें की एक अध्ययन में 41 फीसदी गरीब अलावा, प्रतिशत और 17 गुजरात में गरीबी की चपेट में हैं 

गुजरात राज्य के विकास की जरूरत के मामले में 12 वें स्थान पर रहीं और "कम विकसित" श्रेणी में आता है. यह देश में सबसे विकसित राज्य नहीं है ! इसी प्रकार गुजरात सरकार  कृषि विकास का दावा करती है कि एक राज्य, भूख से पीड़ित इसकी जनसंख्या का 25 प्रतिशत है और उसकी हालत ओडिशा  से भी बदतर है.

इस तरह जनसंख्या के राष्ट्रीय औसत 23.31 है जबकि गुजरात, भूख से प्रभावित आबादी के सर्वोच्च प्रतिशत के साथ राज्यों के संदर्भ में, 17 राज्यों के बाहर (भूख का सामना कर इसकी जनसंख्या का 24.69 फीसदी) 13 वें स्थान पर है ! 


गुजरात में किसानों की सच्ची तस्वीर
कल तक गुजरात के किसानों की आत्महत्या नहीं देखी थी. विधान सभा में गुजरात सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के हवाले से 2,008-2,013 कहा, 122 किसानों की वजह से चुकाने की अक्षमता को आत्महत्या कर ली उनके ऋण, फसल के नुकसान और अन्य कारणों से.

भारत की जनता समझदार है। गरीब आदिवासी को संपन्न बनाने से भारत चमकेगा। भ्रष्टाचार और विकास के गुजरात मॉडल की बात करने से काम नहीं चलेगा। लोगों को दर्द समझना होगा। जिसे वे नहीं समझते, न समझना चाहते हैं। और न समझेंगे... सिर्फ बातों से काम नहीं चलेगा ! क्या यही राम राज्य नहीं अब और नहीं सच में  यही हें फेकू की जूठी बाते और फेकू का जूठा विकास !
 




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