Tuesday, April 8, 2014

झूठ की सियासत!



 राजनीति का खेल निराला, झूठे का बोल बाला! भारतीय राजनीति में राजनेताओं द्वारा लोकप्रियता हासिल करने के लिए लोकहितकारी रास्ते अपनाए जाने के बजाए लोकलुभावन बातें करके जनमानस को अपनी ओर आकर्षित करने का ढर्रा हालांकि काफी पुराना हो चुका है। परंतु दिन-प्रतिदिन सियासत के इस अंदाज़ में और भी परिवर्तन आता जा रहा है। खासतौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री द्वारा इन दिनों जिस शैली की राजनीति की जा रही है उसे देखकर तो ऐसा लगने लगा है कि गोया भविष्य की तर्ज़-ए-सियासत संभवत: मोदी शैली की ही होने वाली है।

यानी आधारहीन, तर्क विहीन, लोकलुभावन बातें करना, झूठे-सच्चे आंकड़े पेश कर लोगों की प्रशंसा हासिल करना, विपक्ष पर वार करने के लिए लालू यादव की तर्ज़ पर चुटकले छोडक़र मसखरेपन की राजनीति का सहारा लेते हुए जनता को लुभाने की कोशिश करना, अपने सांप्रदायिक एजेंडे को बड़ी चतुराई व सफाई के साथ लागू करना, विकास का झूठा ढिंढोरा पीटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मार्किटिंग ऐजेंसियों का सहारा लेना, अमिताभ बच्चन जैसे सुपर स्टार को राज्य का ब्रांड एबेंसडर बनाकर गुजरात की तरक्की का झूठा बखान करवाना तथा अपने राजनैतिक हितों के लिए अपराधियों को संरक्षण देना जैसी तमाम बातें भी शामिल हैं।

सियासत खेल
जहां तक महिला सशक्तिकरण के प्रति मोदी की चिंता व उनके बड़बोलेपन का प्रश्र है तो उन्हें महिला सशक्तिकरण के ‘माया कोडनानी मॉडल’ के रूप में भी देखा जा सकता है। क्या मोदी का महिला सशक्तिकरण इसी बात में था कि उन्होंने गुजरात दंगों की मुख्य आरोपी माया कोडनानी को आरोपी होने के बावजूद अपने मंत्रिमंडल में स्थान देकर उसे स्वास्थय मंत्री बना दिया और आज वही हत्यारी महिला देश में अब तक की सबसे लंबी सज़ा पाने वाली महिला के रूप में जेल की सलाखों के पीछे है? और अदालत द्वारा सज़ा सुनाए जाने के बाद मजबूरीवश मोदी को अपनी उस चहेती नेत्री को मंत्रीपद से हटाना पड़ा। मोदी का महिला सशक्तिकरण क्या यही है कि सोहराबुद्दीन व उसकी पत्नी कौसर बी को फर्जी एनकाऊंटर में मारने का षड्यंत्र रचने वाले अमित शाह को मंत्रिमंडल तथा संगठन में प्रमुख स्थान दिया जाए? मोदी का महिला सशक्तिकरण मॉडल उन दर्दनाक हादसों से भी याद किया जा सकता है जबकि उनकी पार्टी से संबद्ध दुर्गावाहिनी की महिला सदस्यों ने 2002 में सैकड़ों महिलाओं का कत्लेआम किया? महिला सशक्तिकरण का विचार उस समय कहां दम तोड़ रहा था जबकि गुजरात में तलवारों से गर्भवती महिलाओं के पेट से बच्चे निकाल कर औरतों व बच्चों को मारा जा रहा था? मोदी राज में इशरत जहां के रूप में एक महिला की फर्जी मुठभेढ़ में मारी जाती है और मोदी जी महिला सशक्तिकरण की बात करें यह कैसी तर्ज़-ए-सियासत है?

मोदी यदि वास्तव में यह कहते हैं कि अब वे गुजरात का क़र्ज़ उतार चुके हैं और देश का क़र्ज़ उतारना चाहते हैं तो सर्वप्रथम उन्हें महिला सशक्तिकरण के संबंध में दिए जा रहे अपने विचारों पर अमल करते हुए प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने बंद कर देने चाहिए और पार्टी की दूसरी लोकप्रिय नेत्री सुषमा स्वराज के नाम को प्रधानमंत्री पद के लिए आगे करना चाहिए। वैसे तो उन के आलोचक उनकी अपनी छोड़ी हुई पत्नी तथा उनकी मां की स्थिति को देखकर ही उनके महिला सशक्तिकरण पर दिए गए भाषण को हास्यास्पद व शत-प्रतिशत लोक लुभावन बताते हैं। जो भी हो मोदी अपनी अजब-गज़ब तर्ज़ ए-सियासत के बल पर देश व मीडिया को अपनी ओर आकर्षित करने में ज़रूर माहिर हैं। कहीं ऐसा न हो कि इसी लोकलुभावन, ढोंगपूर्ण व अहंकारपूर्ण एवं झूठ व फरेब पर आधारित राजनैतिक शैली का देश में बोलबाला हो। और यदि ऐसा होता है तो निश्चित रूप से राजनीति व राजनेताओं पर से जनता का रहा-सहा विश्वास बिल्कुल ही उठ जाएगा। आखिर कब तक खेलेंगे आप ये झूठ का सियासत खेल?

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